डेथ वारंट के बाद कैसे गुजारी शबनम-सलीम ने अपनी पहली रात

मां बाप और भाइयों के साथ ही सात माह के भतीजे अर्श की नृशंस हत्या करते वक्त जिस शबनम के हाथ नहीं कांपे वही शबनम अब रहम के लिए गिड़गिड़ा रही है। फांसी का फंदा सिर पर लटकता देख शबनम ने खाना पीना छोड़ दिया है। जिसे अपने सगे भतीजे का गला घोंटने में रत्ती भर दर्द नहीं हुआ वो अब अपने बेटे की खातिर अपने गुनाहों को बख्श देने की दलील दे रही है।

जेल प्रशासन ने शुक्रवार को शबनम का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। डेथ वारंट जारी होने के बाद से शबनम गुमसुम है वो कभी रोती है तो कभी एकदम खामोश हो जाती है। उसके बदलते व्यवहार को लेकर जेल अधिकारी संजीदा हैं। शबनम को लगातार निगरानी में रखा जा रहा है। गुरुवार की पूरी रात वो नहीं सोई, रह रहकर महिला बैरक में उसकी सिसकियां गूंजती रहीं। जेल प्रशासन ने इस दौरान उसके नियमित मेडिकल चेकअप की व्यवस्था की है।

उधर जेल अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में यह किसी महिला बंदी का डेथ वारंट जारी होने का पहला मामला है। शबनम ने रिवीजन में जाने के बजाए जेल अधिकारियों से कहा है कि वो सीधे महामहिम राष्ट्रपति से क्षमा मांगेगी। जेल प्रशासन ने इस बाबत तैयारियां कर ली हैं। शनिवार को शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति को भेज दी जाएगी।

जेल मैनुअल के मुताबिक प्रदेश में महिला बंदियों को फांसी देने की व्यवस्था केवल मथुरा जिला जेल में है। इसके अलावा प्रदेश की किसी जेल में महिला बंदी को फांसी देने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यदि शबनम की दया याचिका खारिज हो जाती है तो उसे मथुरा जिला जेल ट्रांसफर किया जाएगा। यदि उसकी याचिका मंजूर भी हो जामी है तो भी सजायाफ्ता बंदी होने के नाते उसे नारी बंदी निकेतन लखनऊ भेजा जा सकता है।

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